ऐ तिरंगा क्या लिखूं तेरी शान में
ऐ तिरंगा क्या लिखूं तेरी शान में
ऐ तिरंगा क्या लिखूं तेरे शान में..
तुझ से लिपट कर मर जाना तो
हर हिन्दुस्तानी का ख्वाब होता है....
ऐ तिरंगा क्या लिखूं तेरे शान में...
देख कर तुझको बस तेरे सजदे में
सर झुकाने का जी चाहता है....
ऐ तिरंगा क्या लिखूं तेरे शान में...
सरहदों पर देख कर लहलहाता तुझको
वीरों को नतमस्तक करने का
दिल चाहता है....
ऐ तिरंगा क्या लिखूं तेरे शान में....
जिसके रंगो में बुना हो बलिदानियों का नाम
जिसके आगे हो शांति का पैगाम
उसे छूकर अब तो बस
अपनी माटी का फर्ज निभाना है....
अपनी माटी का फर्ज निभाना है....!!