प्रेम की प्यारी कविता हो तुम
प्रेम की प्यारी कविता हो तुम
प्रेम की प्यारी कविता हो तुम
तुम से शुरू तुम पर खत्म !!
मिले हो जब से तुम सनम
जीने की लालसा बढ़ गई तुम संग !!
बसंत की मनोहर बेला में
जब से मिले है दो बदन !!
चाहतों का धुआं बढ़ता ही गया
मिल कर नयनों से नयन !!
मिलन की प्यास बुझती नही
अधरो में अटका है मन !!
मधुर सी बोली शहद की गोली
न जाने कैसी है ये प्रेम अगन !!
प्रेम की प्यारी कविता हो तुम
तुम से शुरू तुम पर खत्म !!