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Sangeeta Gupta

Abstract

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Sangeeta Gupta

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वहीं शिवाला है

वहीं शिवाला है

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जहाँ भज लो शिव का नाम 

वहीं शिवाला है... 

गौरी संग लगते बड़े दयालू 

ऐसे है प्रचंड अविनाशी 

बम बम भोले नाथ हमारे 


क्रोध की बसती ज्वाला 

तांडव से है हमें डराते 

पापियों के है ये संहारक 

भक्तों पे है कृपा बरसाते

ऐसे हैं हमारे भोले भंडारी 


जहाँ भज लो शिव का नाम 

वहीं शिवाला है....


मुख पर मधुर मुस्कान की माला 

जटाओं में है गंगा की धारा 

गले में है सर्प सँवारे 

कंठ में है विष की प्याली 

भस्म से है श्रृंगार इनका 


डमरू त्रिशूल से है शोभा खाते 

नंदी है इनकी सवारी 

तांडव से है हमें डराते 

अघोरी है नाम इनका 

काल के भी है ये काल 


जहाँ भज लो शिव का नाम 

वहीं शिवाला है.....


गौरी नंदन के है पिता कहलाते 

नहीं है कोई इनसे बङा 

सृष्टि के है तारणहारे 

इनसे ही है ये दुनिया सारी 

कष्टों के है दुःख हारी 

पीङाओं को हरनेवाले 

ऐसे है शिव हमारे


जहाँ भज लो शिव का नाम 

वहीं शिवाला है....


भज ले भज ले ऐ बंदे 

शिव शम्भू को भज लें 

महाशिवरात्रि का है उत्सव ये 

रूद्राभिषेक से कर ले शिव का वंदन 

फिर देगें प्रभु इच्छित वर 

रहे सुख समृद्ध तुम्हारा घर 


जहाँ भज लो शिव का नाम 

वहीं शिवाला है.....


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