बह रही पुरवा सुहानी, घोलती है गंध को बह रही पुरवा सुहानी, घोलती है गंध को
तेरे पास जो सुकून है वो जग में कहीं नहीं। तेरे पास जो सुकून है वो जग में कहीं नहीं।
आप भी सदेव अपने में स्वतंत्र रहें मुझको भी अपने में स्वतंत्र रहने दो ! आप भी सदेव अपने में स्वतंत्र रहें मुझको भी अपने में स्वतंत्र रहने दो !