सुकून
सुकून
1 min
397
तेरे पास जो सुकून है
वो जग में कहीं नहीं
मगर भाग्य में लिखा है
जो मिलता है बस वही
नजदीकियों से कुछ रंज
है शायद परवरदिगार को
तभी वो दूर रखता मुझसे
मेरे जान ए जहान को
शायद मेरे प्रारब्ध में ईश्वर
कुछ परिवर्तन करे मंजूर
इस उम्मीद की डोर थामे
आराधना कर रहा भरपूर।
