मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम
आर्यावर्त की पावन भूमि पर,
प्रसिद्ध हुए हैं महापुरुष तमाम।
सृष्टि के पोषक श्री विष्णु जी ने
ले दस अवतार किए विविध काम।
इनमें अवतारों में अति विशिष्ट थे
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम।
अवतार था प्रभु का मनुज मर्यादा संग,
प्रभु जीवन से मिलता त्याग का हर रंग।
मनु-शतरूपा को दिए वचन का रखा मान,
पुत्र रूप में अगले जन्म में आए थे भगवान।
मर्त्यलोक में कीन्ही नरलीला हरि ने बन राम,
इनमें अवतारों में अति विशिष्ट थे,
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम।
राम सहित भूपति अवधेश के सुत थे चार,
ज्येष्ठ राम अनुजों से थे करते इतना प्यार।
उनकी खुशी हित वे खेलों में जाते थे हार,
गुरुकुल के आश्रम सामान्य था व्यवहार।
सामान्य जन जैसे रहते थे और करते काम,
इनमें अवतारों में अति विशिष्ट थे,
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम।
सौमित्र संग ऋषि कौशिक ,मख की थी रखवाली,
असुरों संग अहिल्या उद्धार ,की थी कथा निराली।
अनुकरणीय गाधितनय की ,सेवा करने बने माली,
शिव धनु तोड़ सिया ब्याही,गुरु इच्छा पूरी कर डाली।
जनकपुरी के नर -नारिन को, दिए दर्शन अभिराम,
इनमें अवतारों में अति विशिष्ट थे
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम।
अवतार तो लिया था वसुधा के ,भार हरण हित खास,
राजतिलक न हो राम का,शारदा पर देवों का विश्वास।
मां कैकेयी के माध्यम से, राज की जगह पाया वनवास,
वंचित-दलित संगठित कर,त्रिलोक विजेता जीता खास।
आम आदमी के रूप में था कीन्हा,देवों हित असंभव काम,
इनमें अवतारों में अति विशिष्ट थे
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम।
आदर्श राजा होता है कैसा,कैसा होता है रामराज,
देते उदाहरण रामराज का,सीखें सारे शासक आज।
त्याग राज और भार्या का किया, जिस पर हमें नाज़,
हर मर्यादा पुरुष सी निभाई, करता है फख्र समाज।
आदर्श मर्यादा अक्षुण्ण रखी, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम,
इनमें अवतारों में अति विशिष्ट थे
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम।
आजीवन संघर्ष में ही रहे रत,पर उफ होंठों पर न लाए,
अनुकरणीय हर क्षण जीवन का,धन्य जो ऐसा कर पाए।
हर माता-पिता की अभिलाषा होती,वे पुत्र राम सा ही पाए,
हर शासक की भरसक कोशिश,वह रामराज को ले आए।
यह मर्यादा पुरुषोत्तम का मान है,मिलते तो कहते राम-राम,
इनमें अवतारों में अति विशिष्ट थे
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम।