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Neerja Sharma

Abstract Action Others

4.5  

Neerja Sharma

Abstract Action Others

शिकायत

शिकायत

2 mins
42


करोना कहर व लाकडाऊन ने कामिनी के जीवन का रुख एकदम से बदल दिया। पचपन की उमर पार कर चुकने बाद जब आराम करने के दिन चल रहे थे तो अचानक ये करोना के भूत ने जिंदगी की लय को बिगाड़ दिया।बच्चे बड़े ,घर में सब कामों के लिए बाई ,पति की अच्छी खासी नौकरी .....तालमेल बिठा पाना असंभव सा लग रहा है।

आज तक जो जिंदगी मजे से कट रही थी वह अचानक दूभर सी लगने लगी। सब घर में सोचते कि आखिर क्या हो गया कामिनी को। हमेशा हंसती चहकती रहने वाला अब बिल्कुल मुरझा गई है। चार कमरों के घर में चार लोग, अपने अपने कमरे में अपने अपने लैपटाप पर बैठे सब व्यस्त। " वर्कएट होम " कहकर हर कोई काम से कल्टीमार जाता।

कामिनी बेचारी स्कूल ,घर ,बाई के काम ,सब कुछ कर सोचती कि ये करोना चाहे कितना ही भयानक क्यों न हो ,वर्किंग वुमैन की लाकडाऊन जिंदगी से ज्यादा भयानक नहीं हो सकता। संस्कारों में पली बस यही नहीं समझ पाती कि किसे शिकायत करूँ !

माँ पापा से शिकायत कि उनके संस्कारों की बदौलत वह बिना कुछ कहे चार लोगों के हिस्से का काम कर रही है।भगवान से शिकायत है ये करोना का भूत क्यों भेजा जिंदगी में ,बंदगी की जिंदगी बना दी है इंसान।कभी खुद से शिकायत कि क्यों नहीं ये अच्छा बनने का चोगा उतार नहीं पाती। 

सुबह से शाम यही सोचते - सोचते वह दिन चर्या पूर्ण करती है और रात को शिकायतों की पोटली तकिए के नीचे रख सो जाती है , सुबह फिर से लाकडाऊन जिंदगी की दिनचर्या जीने के लिए।

बस केवल प्रभु से ही शिकायत कर पाती है ," मेरी जिंदगी में इतने काम क्यों ? क्यों ? "


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