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Vikas Sharma

Action

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Vikas Sharma

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स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद

2 mins
256


हिंदी दिवस -स्वामी विवेकानंद जयंती -भगत सिंह दिवस

क्या आज एक दिन की कविता /लेख /गोष्ठी के औपचारिक मात्र बन नहीं रह गए हैं -1

मैंने गीता पढ़ी है -मैंने रामचरितमानस का अध्ययन किया ,

मैँ स्वामी विवेकानंद मोर्चे का अध्यक्ष हूँ -2

बिलकुल सही आपने श्रीमद भगवत गीता -रामचरितमानस का अध्ययन किया है

मुबारक हो की आप स्वामी विवेकानंद मोर्चे के अध्यक्ष हैं

पर एक बात बताएं आपने अपने अंदर आपके व्यक्तित्व में क्या उतारा

अध्यक्ष महोदय नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद तक के संघर्ष का एक प्रतिशत भी आप संघर्ष सह सकते हैं -3

मैं कहता हूँ बंद करो ये ढकोसलेबाजी चोचलेबाजी, अभी स्क्रिप्टेड भाषण -माल्यार्पण

और शाम को फिर वही चियर्स के 2 जाम

क्या यही है इन महापुरुषों के उपदेश और आपकी पढ़ाई

हकीकत में तो ये भी आज सोचते होंगे की हमने संघर्ष किया -बलिदान दिया क्या इन जैसे नौजवानों और नेताओं के लिए -4

पढ़ना अलग बात है -समझना अलग- मनन अलग तो चिंतन अलग

और उनको उत्तारना अपने अंतर्मन में वो है सबसे अलग

कितने लोगों को याद है नरेंद्र की बातें -उनकी जनहित और राष्ट्र हित की शपथ

कितनों को याद है उनका गुरु के प्रति समर्पण और भाव

हमें केवल एक चीज याद है उनकी फोटो के साथ सेल्फी

और तोते की तरह रटे हुए दो शब्द -5

चलिए मैं भी औपचारिकता निभा देता हूँ वर्ना बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी

स्वामी विवेकानंद आपके चरणों में शत शत नमन

हो सके तो मुझ अज्ञानी को भी थोड़ा सा आप जैसा विवेक देकर आप जैसा नंद बनाइये

संघर्ष की शक्ति-सहनशीलता दीजिये और समर्पण का भाव सिखाइये

अगर आपके चरणों के धुल के बराबर भी अपने व्यक्तित्व -आचरण में उत्तार पाया -अमल कर पाया

तो मेरी ओर से आपके लिए वो ही होगी सच्ची श्रद्धांजलि -आपकी सच्ची याद -6

अगर मेरे आचरण से चार व्यक्ति भी आपकी राह पर चल पाए तो समझूंगा की कश्मीर से कन्याकुमारी नहीं शिकागो तक का सफर पूरा कर लिया

माफ़ करना नरेंद्र जुबान थोड़ी कड़वी है पर सच्ची है

कलम उठा कर केवल छपने /नाम के लिए कुछ भी नहीं लिख सकता -7

मैं तो खुद चाहता हूँ विकास से कुछ और..........होना पर शायद अभी किसी स्वामी रामकृष्ण परमहंस की दृष्टि योग्य नहीं बन पाया हूँ ..8

पर वायदा करता हूँ शपथ लेता हूँ की देह त्याग से पूर्व..

 कुछ तो ऐसा करके जाऊँगा की जब क्षितिज में तुमसे सामना हो तो तुम स्वयं उठ कर गले से लगाओ ,

तब समझूंगा की मृत्यु नहीं मोक्ष को प्राप्त हुआ ...9


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