तिरंगा फहर रहा है
तिरंगा फहर रहा है
हिमालय के उच्च शिखर पर
हिन्द महासागर के तट पर
गली गली और चौराहों पर
तिरंगा फहर रहा है, की आज
भारत अपना संवर रहा है
खेत खलिहान कहे, जय भारत
सीमा पर जवान कहे जय भारत
देश में विकास बढ़ रहा है
रात को प्रहरी भी जग रहा है
तिरंगा फहर रहा है, की आज
भारत अपना संवर रहा है
मिट्टी से खुशबू जो आती
भारत की जयकार लगाती
बारिश की बूँदों से भी अब
भारत की नदियाँ लहराती
चारों और ख़ुशियों से अपना
गाँव अब तो शहर रहा है
तिरंगा फहर रहा है की आज
भारत अपना बदल रहा है।
