अमित प्रेमशंकर

Tragedy Action Others

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अमित प्रेमशंकर

Tragedy Action Others

थम जा मेघ कसम तुम्हें!

थम जा मेघ कसम तुम्हें!

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[थम जा मेघ कसम तुम्हें]


सहते सहते कहर तेरा 

ये दुखिया मन अब ऊब गया 

थम जा मेघ कसम तुम्हें 

घर सारा मेरा डूब गया।।


छत को छलनी कर दी तूने 

दीवारों को धांस दिया 

खटिया पर रोते बच्चे को 

भूखा ही तू पास दिया 

अन्न के दाने तैर रहे और 

घर का चूल्हा बूझ गया 

थम जा मेघ कसम तुम्हें 

घर सारा मेरा डूब गया।। 


कहो तो अब हम मर जाएं 

है बचा कोई अब राह नहीं 

कब से बिलख-बिलख अनुनय की 

पर तुझको परवाह नहीं 

जैसे रूठी किस्मत ये 

क्या वैसे तू भी रूठ गया 

थम जा मेघ कसम तुम्हें 

घर सारा मेरा डूब गया।। 



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