तेरी यादों के भँवर में
तेरी यादों के भँवर में
तेरी यादों के भँवर में ,
मैं आज भी बहती हूँ ,
एक हिचकी से कसम से ,
तेरे नाम को कहती हूँ।
मुझे पता नहीं तेरा दिल ,
पर अपने दिल से कहती हूँ ,
तेरे इश्क के समुन्दर में ,
नदिया बन के बहती हूँ।
हँसती है दुनिया ये बोल ,
कि वो इश्क सच्चा नहीं था ,
उसी इश्क की खातिर आज ,
देख मैं कितने ताने सहती हूँ।
कोई शिकवा ना पहले था ,
ना ही कभी होगा मेरी जान ,
देख मैं तुझसे रूबरू होने को भी ,
अपनी किस्मत ही कहती हूँ।
छोड़ा आज भी नहीं हमने कुछ ,
बस समय के आगे सर झुका दिया ,
इसे हारना ना कहकर मैं ,
तेरे सजदे में रहती हूँ।
एक हूक सी उठती है जब ,
दिल तार - तार होता है तब ,
तेरे नाम की माला को मैं ,
अपने शब्दों से कहती हूँ।
मेरा दिल जब तक धड़केगा ,
तेरा प्यार तब तक तड़पेगा ,
ऐसे अनोखे इश्क को मैं ,
अपनी आँखों में सहती हूँ।
खुदाया मिल भी जायेगा ,
जो तू किसी रोज़ मुझे यहाँ ,
मैं मूंद पलकों को भरम से ,
तेरे सपनों को ही सच कहती हूँ।|

