तेरी याद..!
तेरी याद..!
तेरी याद कुछ एैसे आती है
जैसे बंसंत में पानखर,
बिन मौसम बारिश आंखों से बरसाती है।
वैसे तो हर मौसम के होते है चार मास,
पर तेरी यादों का मौसम के है बारमास।
कभी दिन में सपने दिखाती है तो
कभी पूरी रात जगाती है तेरी याद,
कभी दुनिया से मुझे जोड़ जाती है तो
कभी भीड़ में भी तन्हा छोड़ जाती है तेरी याद,
कभी यादों में है फ़रियाद तो
कभी फरियादों में भी है तेरी याद,
क्या सिर्फ मुझे ही तड़पाती है तेरी याद?
या फिर तुझे भी रुलाती है मेरी याद?
अब तो इंतजार है की तेरी याद
तुझे कब लाती है??

