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मिली साहा

Romance

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मिली साहा

Romance

तेरी पाजेब

तेरी पाजेब

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मेरी ज़िंदगी का सूनापन हर घड़ी हर लम्हा कर रहा तेरा ही इंतजार,

आज भी सुनाई देती है मेरे इस दिल को वो तेरी पाजेब की झंकार,


तेरी मौजूदगी का एहसास तो होता है पर तू आंँखों को दिखती नहीं,

तू नहीं जीवन में तो बहारें भी लौट जाती हैं दहलीज से ही हर बार,


ख़ामोशी के मंजर में कई बार पुकारा तुझे,तूने दिया न कोई जवाब,

क्यों नहीं लौटती तू,क्या तुझ तक पहुंँचती नहीं मेरे दिल की पुकार,


याद है मुझे आज भी वो दिन जब तेरे पैरों में मैंने पहनाई थी पाजेब,

तेरी खनकती पायल की उस आवाज़ में दिखता था रंग भरा संसार,


यही रंग तो जीने का था सहारा, खुदा ने छीनकर कर दिया बेसहारा,

देखकर तेरा अक्स अक्सर मैं खुद को महसूस करता कितना लाचार,


काश! कैद कर पाता तुझे अपने आसमां में, तो तू होती इस जहांँ में,

मिटा देता तकदीर से जुदाई का वो शब्द,चाहे मिटाना पड़ता सौ बार,


तू नहीं है फिर भी न जाने क्यों आस है, तुझ बिन ठहर गई है ज़िंदगी,

बस बंद पलकों में ही रह गया है तेरी पाजेब सा खनकता मेरा संसार।


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