STORYMIRROR

मिली साहा

Romance

4.8  

मिली साहा

Romance

तेरी मौजूदगी का एहसास

तेरी मौजूदगी का एहसास

1 min
528


तेरी मौजूदगी का एहसास है पर तू हकीकत में नहीं है कहीं

तेरे बिना तो बहारें भी लौट जाती हैं हर बार,दहलीज से ही।


तेरी बातों की खनखनाहट, आज भी मौजूद है इस दिल में,

जिंदगी का सूनापन हर लम्हा इंतजार करता है बस तेरा ही।


ख़ामोशी में तन्हा तेरी यादों की महफ़िल सजाता हूंँ हर बार,

पुकारा कई बार पर मेरी आवाज़ तुझ तक पहुंँचती ही नहीं।


वो तुझसे मेरी पहली मुलाक़ात, जिसकी गवाह ये वादियांँ,

चीख चीख कह रही, तुझ बिन अब यहांँ रहा कुछ भी नहीं।


देख चांँद में तेरा अक्स, खुद को महसूस करता हूँ लाचार

,

काश कैद कर लेता दिल में तो तू कभी जुदा होती ही नहीं।


किस दर पर नहीं लगाई अर्जी कहांँ-कहांँ नहीं की इबादत,

पर मेरी इस किस्मत की लिखावट है कि, बदलती ही नहीं।


कहा था तुमने, तुम अपनी मुस्कुराने की आदत न छोड़ना,

पर कैसे, तुम बिन तो ये लब मुस्कुराना, हैं जानते ही नहीं।


अभी तो सफ़र में साथ-साथ चलना, शुरू किया था हमने,

पर किस्मत को शायद यूँ साथ चलना, रास आया ही नहीं।


क्या थी खता, जो इस कदर बेबस हो गई मोहब्बत हमारी,

कितने ख्वाब सजाए थे हमने मुकम्मल कोई हुआ ही नहीं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance