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Sajida Akram

Romance

4  

Sajida Akram

Romance

"तेरी बाहों"

"तेरी बाहों"

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तेरी बाहों

तेरी बाहों में आकर मैं, 

भूल जाती हूँ हर ग़म, 

तेरी बाहों में सिमट जाता है


मेरा पूरा वजूद, 

तू है तो ये जहाँ भी, 

लगे न्यारा, 

तेरी बाहों में आकर

मेरी ख़ुशियों को लफ़्ज़ों


मैं बयान नहीं कर सकती

तेरी गर्म सांसों की तपिश, 

तेरी लबों की लरजिश 

तेरी आंखों की शरारत

हवाएं भी देतीं हैं, 


मेरी ज़ुल्फ़ों को लहरा कर, 

तेरी बाहों में सिमट जाने का, 

पैग़ाम


तेरी बाहों में आकर,

खिल उठती है मेरी

हर आरज़ू,हर ख़ुशियाँ

तू है तो ये जहाँ भी 

 लगे न्यारा।


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