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SIJI GOPAL

Drama

3  

SIJI GOPAL

Drama

तेरे रंग में रंग लिया

तेरे रंग में रंग लिया

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खुद भुखे पेट रहती, मुझे भोजन करा दिया

तेरी उस प्यारी बेईमानी को आज जान लिया।


कटी उंगली को होठों में दबाकर मुझे हंसा दिया

तेरे दिल में छुपे हर राज़ को पहचान लिया।


भीगती तुम रही, आंचल में मुझे छुपा लिया

बीमारी की झींक को यादों का निशान बता दिया।


मेरी इच्छाएं पूरी हो जाएं, तुने पल्लू में गांठ कर लिया

अपने अरमानों को जाने किस माटी में दफना दिया।


मेरी खुशियों के लिए साड़ी से वो झूला सी दिया

अनोखे प्रेम की उस पहेली को मैंने आज बूझ लिया।


फूलों की चाह मुझे,कांटों की चुभन तुमने झेल लिया

प्याज के आंसू कह कर, सारे ग़म अकेले ही पी लिया।


खुद मां बनी तब, त्याग की तेरी किताब को पढ़ लिया

तेरी तस्वीर को नमन कर, खुद को तेरे रंग में रंग लिया।


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