तेरे जाने के बाद......
तेरे जाने के बाद......
सांस लेने और जीने में फर्क समझ आया
गुल ही गुल बिखरे पड़े थे
यह खार से भरा रेगिस्तान तो अब नज़र आया
अब चाँद को नहीं
उसकी दूरियों को ताकते हैं
मुस्तबिल में नहीं माज़ी में झाँकते हैं
ज़ंजीर सी जकड़ी याद है
पिंजरा भी खुला है
सय्याद भी नहीं है
फिर भी बुलबुल क़ैद है
गिरे एक बार और संभालते रोज़ हैं
बोलते हुए अलफ़ाज़ भी खामोश हैं
यह सब हुआ है
यह सब किया है
तेरे जाने के बाद........
