तेरे जाने का
तेरे जाने का
मुझे तेरे जाने का गम सताता है
तन्हा होता हूँ जब भी याद तू ही आता है
चलो आज तुमको हम वो पल गिना दें
जिसमें काटी रातें और वो दिन भी गिना दें
छत पे अकेले में मेरा चाँद याद आता है
मुझे तेरे जाने का गम सताता है
बिन तेरे न जाने कितनी ठोकरें खायी हैं
बीच सफर में तू छोड़ मुझको आयी है
कुछ दूर है मंजिल फिर भी
तेरे बिन चला न जाता है
मुझे तेरे जाने का गम सताता है
दिल की झोंपड़ी में तेरा आशियाना था
तेरे सिवा मैंने न किसी को जाना था
तोड़ के दिल को मेरे हँस के जाता है
मुझे तेरे जाने का गम सताता है
तेरे सारे नखरे मैंने खुद ही उठाये
तुझे सिर्फ तुझे ही थे पलकों पे बिठाये
मेरी वफ़ा को तू ठुकरा के जाता है
मुझे तेरे जाने का गम सताता है