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Neha Dhama

Abstract

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Neha Dhama

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तेरे बिना मैं अधूरा

तेरे बिना मैं अधूरा

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राते अधूरी मेरी बातें अधूरी 

तुझ बिन ये मुलाकातें अधूरी 

बिन सांसे जिंदगानी अधूरी 

तुझ बिन मेरी कहानी अधूरी 


जीने की तमन्ना हैं तुझसे

मोहब्बत बेपनाह हैं तुझसे 

 कितने दफा इजहार किया 

 हर सांस में तेरा नाम लिया


तेरी यादों के साये में रहूं 

पल पल तेरा जिक्र करू 

कैद करके रखें हैं वो लम्हे 

जो कभी तेरे संग थे बिताएं


किस तरह हँसती रहा करती थी

ना जुदा होंगे कभी कहा करती थी

फिर किस खातिर इतना बदल गई

सरे आम रुसवा मोहब्बत कर गई


पल भर में हमकों बेगाना बना कर 

क्यों गैरों के लिए हमकों ठुकरा कर  

क्यों दीवानों सा मेरा हाल बना दिया

किस भूल का तूने ऐसा सिला दिया


आज भी उसी जगह तेरा इंतजार हैं 

आकर कह तो सही तुझे मुझसे प्यार हैं 

निकल आऊंगा जिन्दा हो कब्र से पल में

जहां भर की खुशियां भर दूंगा आँचल में


कचोटा करती हैं तन्हाईयां तुझ बिन 

नींद नहीं आती चैन ना पाऊं तुझ बिन 

ख्वाबों में भी तुझको देखा करते हैं

तेरे होने के अहसासों में जिया करते हैं।


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