तेरा आशिक़ बन पाता हूँ
तेरा आशिक़ बन पाता हूँ
तेरी दुआओं में जब मैं शामिल हो जाता हूँ
तब कहीं तेरी मोहब्बत के क़ाबिल हो जाता हूँ
तेरे बिना जो मैं रहता हूँ कुछ तन्हा तन्हा सा
तेरी रफ़ाक़त में पूरी महफ़िल सा बन जाता हूँ
खोने को ये जहां ज़रा छोटी सी पड़ गयी सनम
तभी शायद तेरे दिल में खो सा जाता हूँ
जब से मिला हैं उन्वान मुझे तेरा आशिक़ होने का
तब से कहीं पड़ी है आदत मुझे ख़ुशी के अश्क़ रोने का
इस शायर के बेहेर को नहीं, तसव्वुर को तवज्जो दे
बड़ी मुश्किल से हासिल ये फन , अलफ़ाज़ पिरोने का
मेरा तलफ्फुस उम्दा सही पर इश्क़ तुझसे सादा हैं
मक़सद फ़क़त एक सनम, ":तेरा हो जाने का "
तुझे हासिल करने की नहीं कोई हसरत मेरी
मुझे तो तुझको बस पाने की चाहत है
तू न देख इस कदर ज़माने दे दोगले चेहरों को
ज़माना है ये, इसे बातें बनाने की आदत है
तेरे इश्क़ में "ज़लज़ला" सबब सुनामी का बन जाये तो हैरत क्या
ये पहली बार नहीं जब किया किसी आशिक़ ने ऐसी हिमाक़त है