तुझे हासिल करने की नहीं कोई हसरत मेरी मुझे तो तुझको बस पाने की चाहत है तुझे हासिल करने की नहीं कोई हसरत मेरी मुझे तो तुझको बस पाने की चाहत है
किताब से भी बेहतर सीख जिसकी है वो माँ किताब से भी बेहतर सीख जिसकी है वो माँ
ये लाख टके की बात अब कौन इन्हें समझाए। ये लाख टके की बात अब कौन इन्हें समझाए।
I am deleting my poems. I am deleting my poems.
क्या कहूं...! जिंदगी में, इस साल। तुज़र्बों का एक, काफ़िला - सा रहा। अपनों के चेहरे से, वो नका... क्या कहूं...! जिंदगी में, इस साल। तुज़र्बों का एक, काफ़िला - सा रहा। अपनों ...