STORYMIRROR

Kalyan Mukherjee (ज़लज़ला)

Abstract

3  

Kalyan Mukherjee (ज़लज़ला)

Abstract

तेरे इश्क़ में एम बी ए कर लिया

तेरे इश्क़ में एम बी ए कर लिया

2 mins
73


याद है मुझे वो  दिन जब घर तेरे हाथ मांगने आया था।  

याद है मुझे वो  दिन जब औकात का सबक पाया था।  

सैलरी स्लिप में सिफर  कम थे और प्यार कुछ ज़्यादा था।  

कॉर्पोरेट दुनिया का मैं मामूली प्यादा था।  

दफ्ना के रखा मैंने तेरे बाप के दुत्कार को।  

चीनी में घोल के पी गया तेरे बेवफा इनकार को।  

फिर तेरे ही चाहत का महंगा मक़बरा बना दिया।  

तेरे इश्क़ में मैंने एम बी ए कर लिया।  

 

बस गयी तू अमरीका में

तेरे रेडी मेड पति के साथ। 

लड़की से तू अफूस बनी और

एक्सपोर्ट हुई हाथ ओ हाथ।  

तेरे हर गिरगिट के रंगों से मैंने नाता जोड़ लिए

तेरे इश्क़ में मैंने एम बी ए कर लिया।  

 

दुनियादारी का सबक ये  किताब क्या सिखाते मुझे?

तेरे प्यार ने तो वैसे ही दुनिया का चेहरा  दिखाया था।  

फिर भी सुनता रहा इनकी बकर को मैं दो साल।  

आखिर तेरे प्यार ने ही तो मुझे मिटाया था।  

पुल  के इस पर खड़ा था, अब पुल मैंने पर कर लिया

तेरे इश्क़ में मैंने एम बी ए कर लिया।

 

औकात आज मेरी तेरे बाप से ज़्यादा है

उसे भी सबक सिखाने का इरादा है।  

पर सोचता हूँ क्यों गरीब की लुटिया डुबोऊँ

बेकार अपने हाथ गटर में धोऊं।

 

इश्क़ था इसलिए एम बी ए किया,

फिर एक जाम उसके साथ पिया,

जिसने मुझसे इश्क़ किया।  

 

कला की पास आउट है वो ........तसवीरें बनाती है

ज़िंदगी को हर रोज़ नए नज़र से बताती है।  

फर्क उसे मेरे डिग्री का पड़ता नहीं।  

फर्क उसे मेरे सैलरी स्लिप का नहीं।  

टपरी पे चाय भी वो मेरे साथ पीती है

धीमे धीमे से कभी कोई गीत गुन -गुनाती है। 

हीरो के हार से ज़्यादा ओस की बूंदे उसे प्यारी है।

दुनिया पहले.........  बाद में दुनियादारी है।  

 

इश्क़ हुआ ऐसे की तेरी बेवफाई को माफ़ कर दिया।

हां आज मैंने तुझे मेरे दिल से साफ़ कर दिया।  

पर अफ़सोस इस बात का फिर भी रहेगा

क्यों तेरे इश्क में एम बी ए कर लिया? 

 


 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract