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Kalyan Mukherjee (ज़लज़ला)

Romance

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Kalyan Mukherjee (ज़लज़ला)

Romance

जबसे तुझसे इश्क़ हुआ है

जबसे तुझसे इश्क़ हुआ है

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ये तुम्हारा इश्क़ कुछ छूत की बिमारी है 

मुझसे किसी और को बस लग जाता है 

पता नहीं कैसा ये शहर है हमनशीं 

जिसे देखो, बस तुमसे इश्क़ हो जाता है 

 

ये तुम्हारा हुस्न का तिलस्म है या कुछ और 

की हर शक़्स यहाँ तुम्हारा होना चाहता है !

इस शहर में तुम्हारे चर्चे इतने है की न पूछो 

हर गली हर नुक्कड़ तुम्हारी तारीफे करता है

 

मशहूर हैं तुम्हारे तासुर का तस्सव्वुर यहाँ 

हिजाबी हुस्न पर हर आशिक़ यहाँ मरता है।  

कोई कोई तो यहाँ बस निठल्ले बैठे है चौक पर 

फुरक़त के आलम में सोच तुम्हे आहें भरता है। 

 

पर क्या है परे हिजाब के या हम जानते है 

शहर ये कितना भी कहले दास्तान तुम्हारी 

हम बड़े क़रीब से तुम्हें जानते है 

 

जानते है, उस हिजाब के परे जो है वो अज़ीम है 

जानते है , वो मुख़्तसर ही अब मुस्काती है 

इल्म है उस चेहरे के दर्द का जो वाज़े नहीं होता 

ये दर्द भी तो वो सलीक़े से छुपाती है 

 

पर सूरत की हमें शग़फ़ नहीं , हमें तेरे दिल ने छूआ है 

बड़े मक़सूस से महसूस है करते, जबसे इश्क़ तुझसे हुआ है 

 

ज़लज़ला को दरकार नहीं ज़माने के बेमतलब तारीफों की 

ये खुश हैं मेरी हमनशीं जो साथ इसके तेरी दुआ है 

 


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