STORYMIRROR

Kalyan Mukherjee (ज़लज़ला)

Romance

4  

Kalyan Mukherjee (ज़लज़ला)

Romance

मैं आज भी तुझसे प्यार करता हूं

मैं आज भी तुझसे प्यार करता हूं

1 min
665

देखता हूँ जब मैं किसी फूल को मुरझाते हुए 

मेरे माज़ी के हर टूटे रिश्ते की याद आती है 

बहार तो कबकी मुझसे कुछ नाला सी हो गयी 

ये पतझड़ है, जो मुझे तेरी याद दिलाती है 


मैं शायद तभी सर्दियों का कुछ इंतज़ार करता हूँ 

रईसी में भी आज दिल को बेज़ार करता हूँ 

क्या करूँ मैं, कि आज भी मुझे परहेज़ बंदिशों से 

मैं आज भी तुझसे प्यार करता हूँ 

 

ज़िंदगी का हर वो पन्ना जो तेरे निशाँ से सुर्ख है 

तेरे लबों की स्याही ने हर पल जिन्हे छुआ है 

कभी चाहे तो कभी अनचाहे ही सही मगर 


इश्क़ तो मुझे हर पल तुझसे हुआ है 

तवारीखों के हर वो लम्हे अब बा-आवाज़ पुकारते हैं 

और मैं मुस्तक़बिल को लगातार निहारता हूँ 

क्या करूँ मैं, कि आज भी मुझे लगाव ख्वाहिशों से 

मैं आज भी तुझसे प्यार करता हूँ 

 

हर एक आहट में गूंजती आज भी तेरी पायल की झंकार 

उल्फत अभी भी सीने में दफन है, इससे नहीं है इंकार 

उन लम्हो की कसम के जिसमे बेपनाह इश्क़ फनाह हुआ 

वो लम्हे जो आज भी कर जाते मुझे कुछ बेकरार 


हर वक़्त मेरा कहीं काट जाता है ज़ालिम वक़्त-गुज़ारी में 

ज़िंदगी भी तेरे बिन काट रही है यूँ मौत की तैयारी में 

इस ज़िंदगी में अब हर पल मैं मौत का इंतज़ार करता हूँ 

क्या करूं मैं, कि आज बे मुझे शग़फ़ तेरे हर हिस्सों से 

मैं आज भी तुझसे प्यार करता हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance