स्वयं को पहचान तू
स्वयं को पहचान तू
ऐ दिल! तू क्यों इतना परेशान है
ये दुख तो बस कुछ पल का मेहमान है
वफ़ा की तलाश में खुद से खफ़ा हो गया
ज़रा देख तो सही तेरे साथ सारा जहान है
याद रख मसान तक साथ न जाता कोई
हैं साथ सब, जब तक जिस्म में जान है
इस सफ़र में अलमस्त चलता जा
हर दिन हयात के नए फरमान हैं
इन सब में तू खुद को न भुला
तेरे वज़ूद से ही तो तेरी पहचान है