आहिस्ता आहिस्ता
आहिस्ता आहिस्ता
आहिस्ता आहिस्ता ख़्वाब टूटे हैं
यहाँ अपने ही अपनों से रूठे हैं
सब करते हैं दिखावा आजकल
पता नहीं कौन से रिश्ते झूठे हैं
अपनों की खुशी की ख़ातिर आँसू भी पी लिए
रिश्ते निभाने में हम खुद ही लुटे हैं
फिर भी कहा जाता क्या किया तुमने
अरे अपनों के लिए अपने ही सपने छूटे हैं
दूसरों की परवाह करते-करते खुद को भुला दिया
फिर भी उलाहनों के बीच हमारे दम घुटे हैं।