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भावना भट्ट

Others

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भावना भट्ट

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बूँद-बूँद से

बूँद-बूँद से

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बूँद-बूँद से घड़ा भरता है

न जाने इंसान ये बात क्यों नहीं समझता है


जानता है इक दिन उसके कर्मों का हिसाब होगा

फिर भी जीते जी गुनाह बेहिसाब करता है


जानता है खुदा की नज़र से कोई बचता नहीं

फिर सामने क्यों अच्छाई का ढोंग करता है


चाहता है अपने हिस्से की सारी खुशियाँ

पर किसी के दर्द को न बाँट सकता है


कहता है मेरे ही हिस्से क्यों लिखे हैं गम

क्या वो जानता नहीं, दिया हुआ ही वापस मिलता है


रहमत कर ऐ खुदा! नेकदिल बना सबको

अब इंसान ही इंसान का दुश्मन बना फिरता है


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