STORYMIRROR

Bharat Jain

Inspirational

3  

Bharat Jain

Inspirational

गीली मिट्टी, अनगढ़ पत्थर !

गीली मिट्टी, अनगढ़ पत्थर !

1 min
43

गीली मिट्टी, अनगढ़ पत्थर,

चले खेलने, बस्ता रखकर।


जिधर बशर का दाना पानी,

घर अपना अपने कंधों पर।


दिन की चौसर रात के पासे,

अंत कहां जो बैठे थककर।


ज़र्द सुपारी पान बनारस,

लगो काम पर बीड़ा चखकर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational