रात भर जागता रहा
रात भर जागता रहा
रात भर जागता रहा,
मुसाफ़िर ताकता रहा,
रास्ता या वो मंज़िल,
साधू किसे सोचता रहा।
रात भर का मौन,
लिए है सुबह का शोर,
काली चादर बदल,
ओ सतरंगी आसमां,
उम्मीद बांधता रहा।
रात भर जागता रहा।
नाव, पतवार या लहर,
कठपुतियों का खेल,
संतूर की आवाज़,
किस के इशारों पर,
नाचता रहा।
रात भर जागता रहा।