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Bharat Jain

Abstract

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Bharat Jain

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राम भरोसे

राम भरोसे

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राम भरोसे सांसे चलती

राम भरोसे खुलती आंख


राम भरोसे दिन होता है

राम भरोसे होती रात


राम भरोसे चींटी चलती

राम भरोसे धरती हिलती


राम भरोसे सूरज हंसता

राम भरोसे होती बरसात


राम भरोसे आग सुलगती

राम भरोसे गिरती ग़ाज़


राम भरोसे सागर चुप है

टिका हुआ है आकाश


राम भरोसे पंछी उड़ते

राम भरोसे पत्ते झड़ते


राम भरोसे हम-तुम मिलते

राम भरोसे जमघट लगते


राम भरोसे सांसे चलती

राम भरोसे खुलती आंख



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