Bharat Jain
Abstract
जब सुनते सुनते मन फूल गया
मैं कहते कहते कुछ भूल गया।
जो कागज़ पढ़ना सीख गया
फिर क्या पढ़ने स्कूल गया।
जब जब न पीछे लौट सका
तो में घर का रास्ता भूल गया।
कब किस सपने में मिले थे हम
शायद इस सपने में भूल गया।
घूंट घूंट में
एक माला
समय की चोरी क...
मन के नाटक
पिक्चर अपनी क...
तू
राम भरोसे
मैं भूल गया
वहां हर कोई
रात भर जागता ...
कुछ ऐसे भी होते हैं जो बदन पर खाल के जैसे हमेशा को रह जाते हैं ! कुछ ऐसे भी होते हैं जो बदन पर खाल के जैसे हमेशा को रह जाते हैं !
यह जो तुमने अखण्ड मौन धारण किया है अर्थ तो जानती हो ना इसका ? यह जो तुमने अखण्ड मौन धारण किया है अर्थ तो जानती हो ना इसका ?
और मैं चुपचाप चुप हो गई हमेशा के लिए...। और मैं चुपचाप चुप हो गई हमेशा के लिए...।
कभी नहीं आ पायेंगे जो, कभी किसी दिवाली में।। कभी नहीं आ पायेंगे जो, कभी किसी दिवाली में।।
दीवार उसे ख़ूब शानदार दी जाल बुनने को खलिहान दिया। दीवार उसे ख़ूब शानदार दी जाल बुनने को खलिहान दिया।
हर तरफ टूट-टूट कर गिर रहा है वक्त का तंत्र और मुझे कविताओं की चिंता है। हर तरफ टूट-टूट कर गिर रहा है वक्त का तंत्र और मुझे कविताओं की चिंता है।
तकलीफों और जज्बे का, कष्टों का और हिम्मत का, तकलीफों और जज्बे का, कष्टों का और हिम्मत का,
दिलों की गर्द लिख दूं, झूठ की हद लिख दूं। दिलों की गर्द लिख दूं, झूठ की हद लिख दूं।
टुकड़ा - टुकड़ा बंटकर भी, अपना वजूद सिद्ध कर जाऊंगी ! टुकड़ा - टुकड़ा बंटकर भी, अपना वजूद सिद्ध कर जाऊंगी !
दुनिया के सबसे बेहतरीन मास्टरपीस। दुनिया के सबसे बेहतरीन मास्टरपीस।
ये शब्द हैं ! ये अक्सर निशब्द कर जाते हैं ! ये शब्द हैं ! ये अक्सर निशब्द कर जाते हैं !
ककहरा को ककहरा ही रहने दें, उसके दुष्प्रयोग से नई व्याकरण न लिखें। ककहरा को ककहरा ही रहने दें, उसके दुष्प्रयोग से नई व्याकरण न लिखें।
अपने मन के तालाब में खिले कमल को कैसे संभालना है जानती है अब मुनिया अपने मन के तालाब में खिले कमल को कैसे संभालना है जानती है अब मुनिया
वहां तुम्हारा राज चलेगा, है ना, सब कुछ शानदार। वहां तुम्हारा राज चलेगा, है ना, सब कुछ शानदार।
क्या, मेरा जीवन किसी सिनेमाघर के पर्दे से कम है ! क्या, मेरा जीवन किसी सिनेमाघर के पर्दे से कम है !
शंख की ध्वनि का हस्तक्षेप फिसल जाये पत्थर की काया से। शंख की ध्वनि का हस्तक्षेप फिसल जाये पत्थर की काया से।
सुना है दबे पांव ही आता है प्रेम। सुना है दबे पांव ही आता है प्रेम।
इसी को दिया है नाम विवाह का हमने-तुमने और समाज ने। इसी को दिया है नाम विवाह का हमने-तुमने और समाज न...
इस प्यारी धरती में बहुत कुछ है उनके लिए। इस प्यारी धरती में बहुत कुछ है उनके लिए।
यही बात बार-बार मनुष्यों से कहता हूँ मैं हाँ, समुद्र हूँ मैं। यही बात बार-बार मनुष्यों से कहता हूँ मैं हाँ, समुद्र हूँ मैं।