रखता है
रखता है
नाउम्मीदी से टूट जाते हैं रिश्ते अक्सर,
इसलिए उम्मीद की श्मां जलाएं रखता है।
समझता है हुज़ूम की नापाक ख्वाइशें,
इसलिए हस्ती दरख्त सी छिपाए रखता है।
इल्म है उसे रवायतों से टूटे एतबार का,
इसलिए कुर्बत खुदा से बनाए रखता है।
रूबरू है लफ़्जों की निलाम इज्ज़त से,
इसलिए हर्फ लिहाज से सजाए रखता है।
झुकते देखा गहरात को हिर्स के आगे बेहिस,
इसलिए किरदार पाक बनाए रखता है।
