इश्क
इश्क
देखने में भले ना हुस्न-ए-ताम हो,
पर साथ तेरे हसीं हर शाम हो।
कोई जो पूछे जिंदगी क्या है,
तो जुंबा पर बस तेरा ही नाम हो।
जिंदगी में गम के पल भलें तमाम हो,
पर सूकून के लिए ज़रूरी ना जाम़ हो।
मैं हरपल खुद में ढूँढू अक्स तेरा,
और तेरी बातों में मेरा ज़िक्र सरेआम हो।
हर धर्म-जात से ऊपर हो इश्क हमारा,
साथ में रहते रहीम और राम हो।