वो प्रहरी
वो प्रहरी
वो है संध्या की आरती,
वो है नमाज़-ऐ -सहरी!
कठिन परिस्थितियों में,
संघर्ष-रत है वो प्रहरी!
यही फँसता बर्फ़बारी में,
शत्रु पक्ष की गोलाबारी में!
शत्रुशमन के लिए सबकी,
निगाहें इन पर हैं ठहरी!
साहस इनमें अदम्य है,
ये तो सर्वथा प्रणम्य है!
सियासतदां इन्हें तोड़े,
लाद कर ये चालें गहरी!
उंगलियाँ उठीं इन पे भी,
'गद्दार', बात जग ने कही!
सियासती लोगों ने बनाया,
'चिड़िया' ही को कचहरी!
फ़र्ज़ निभाया पूरे ईमान से,
प्यार किया हिन्दोस्तान से!
रुधिर से धोयी है भारत भू,
धन्य है! भारत के ये प्रहरी!
