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Laxmi Yadav

Inspirational

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Laxmi Yadav

Inspirational

कोरोना मैंने अब तक हार नहीं मानी है

कोरोना मैंने अब तक हार नहीं मानी है

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"कोरोना, मैंने हार नहीं मानी है"


मैं नारी हूँ, कभी ना हारी हूँ, 


पाषाण पिघला कर मैं बहा देती दुग्ध- धारा, 

प्राण अपना दाँव पर लगा मैं बनती प्राणदा, 

समक्ष प्रतिकूल- अनुकूल परिस्थिति जो हो, 

पोषण कर ही लेती अंकशायिनी अपने अंग अंश का, 

त्रृलोकी शिकस्त जहाँ हो जाते है, 

मैं जीत के जश्न का आगाज वही से करती हूँ, 

क्योंकि हर युग में मेरी यही कहानी है, 


पर मैंने कभी हार नही मानी है, 


हाँ कभी था मेरा देश परतंत्रता की बेड़ी में

जकड़ा हुआ, 

पर तब भी रण - जौहर में कूद पड़ी थी , 

कभी लक्ष्मी बाई तो कभी मैं बनी पद्मिनी थी, 

भोग्या भार्या से बन गयी मैं योध्दा वीरांगना थी, 


क्योंकि एक नया इतिहास मुझे बनाना था, 

मैंने तब भी हार नहीं मानी थी, 


माना आज मेरा हिंदुस्तान तुझ से हुआ

किंचित निर्बल, 

कोरोना भले आज तेरी शक्ति हुई प्रबल, 

पर मै भी बनी देवदुत् हूँ स्वयम खींच

लक्ष्मण रेखा अविचल, 


क्योंकि मेरे अटल विश्वास की तरंगे कहती है, 

काल चक्र का चक्र चलेगा कुछ ऐसा वलय विकट, 

विपत्ति विपदा भी दहल जाए , 

देख कोरोना का अंत निकट


कोरोना, मैंने अब तक हार नहीं मानी है। 



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