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Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

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Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

वे बोले - मैं बोली

वे बोले - मैं बोली

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वे बोले मुझसे - इतनी भी खुश क्यों 

मैं बोली - बला रोऊँ  क्यों 

वे बोले - ठहाके किस बात पर 

मैं बोली - दम घुटाऊँ क्यों 

वे बोले - वक्त है तनाव भरा 

मैं बोली - हाँ है, पर हारूँ  क्यों 

वे बोले - क्या कभी दुखी होती नहीं हो 

मैं बोली - हूँ, पर खुशियां  भुलाऊँ क्यों

वे तंज़ करके बोले - ज़्यादा हँसा मत करो  

मैं बोली - आदत है, तो छोडूं  क्यों 


अब थी मेरी भारी, मुस्कुराते हुए पूछ लिया 

तुम्हारे आँगन के चूल्हे में लकड़ी जलती है क्या 

परेशानी में जो हाथ बढ़ाता है आगे 

उस ईश्वर की छाया कभी दिखती है क्या 

अपनी मुस्कराहट किसी संग बांटी हो जो 

वैसी संतुष्टि कहीं और पायी है क्या 

ज़रा पीछे मुड़ के देखो और बोलो 

किसी की उम्मीद कभी जगाई है क्या 

बेबसी में कितनी आँखें छल्काई होंगी 

उन्हें और कोई मंज़िल दिखाई है क्या 


हर किसी की ज़िन्दगी है बिखरी पड़ी यहाँ

पर एक ही सूत्र में बंधा हुआ है हर प्राणी यहाँ 

कुछ उम्मीद अपने अंदर जगाओ 

कुछ मुस्कुराहटें औरों में बांटो 

वक्त बदलेगा ज़रूर, ईश्वर का नियम है 

पर जीतेगा वहीँ यहाँ जिसमें संयम है



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