ना हार मान
ना हार मान
धैर्य को सींचने में
खुद को सम्भालने में
वक्त तो लगता है मगर
ना हार मान
ना हथियार डाल,
ना कदम मोड़
ना आश छोड़
सकल्प का मोल
कर्म से तोल,
जीत जायेगा
मंजिल को पायेगा
भट्टी में तपके
कुंदन बन जायेगा,
सितारे की तरह
चमक जायेगा
सूर्य की तरह
दमक जायेगा
नया क्षितिज बनाएगा,
बंजर जमीनं पर
फसल खिलाएगा
चट्टानों को माटी बनायेगा
रेगित्स्तांन में नदियाँ बहायेगा ,
बस दृढ़ सन्कल विश्वास श्रम
का दामंन मत छोड़
अपना हर स्वप्न चाहत ख्वाईश
को पूरा कर जायेगा
बडी से बडी मंजिल को पा जायेगा!
