"मेरी लेखनी मेरा प्राण "
"मेरी लेखनी मेरा प्राण "
किसी कोने में कोई दो शब्द उभरते दिख जाएँ ,
तो सोचना हम अभी भी सजग और कार्यशील हैं !
हमारी लेखनी को देखकर अनुमान सहज हो जायेगा
कि अकर्मण्यता को छोड़ अभी भी प्रगतिशील हैं !!
शारीरिक मनोबल का आभाव भले उम्र के हिसाब से हो
पर मानसिक मनोबल की झलक हमारी लेखनी में
मिल जायेगी !
तारे क्षितिज से तोड़ लाएं या ना लाएं कल्पनाओं की लड़ियाँ
सात रंगों में निख़र आयेगी !!
मेरी सजगता, मेरी कुशलता, का एहसास मेरी लेखनी को
देख के, पढ़कर कर सकेंगे !
हमारी लेखनी की शिथिलता से हमें पहचान लेंगे,
सांसों की गति जब तक मेरे साथ रहेगी
मेरे रहने का एहसास करते रहेंगे !!
