स्वतंत्रता गीत
स्वतंत्रता गीत
दंभी व्योम तनिक झुक जा, सोम सलिल वर्षा कर जा,
काम, अर्थ, प्रस्तर भिड़ ना, तम नाशक ज्योति ले आ।
नेत्र हर्ष से झूम उठे, दिवस वेदना भाग पड़े,
मन-मानस के सदन निकेतन, हर्षोल्लास से झूम उठे।
अंत लालसा पूर्ण हुई, अन्न, वसन, निकेतन हो,
सुत, दुहिता, जननी, मीत, स्वरित करेंगे विजय गीत।
रंग-बिरंगे कुसुम खिले हैं, भ्रमर वाटिका में आते हैं,
गीत प्रसन्नता के गाते हैं, और गगन में उड़ जाते हैं।
प्रस्तर शिला प्रसूनती, अंबा प्यार उड़ेलती,
कर कुंदन में खेलते, सुरभि वायु में फैलती।
दंभी दर्प तोड़ दो दर्पण में, त्याग करो अर्पण कर दो,
जीवन जीना धन्य करो तुम, मां के पावन चरणों में।
मिली स्वतंत्रता दिवस आज है, वेदना भागी उल्लास आज है,
याद करो तुम देहधारियों, यह जिन् मानवों का पुण्य-प्रताप है।