स्वतंत्र हूंँ परतंत्र
स्वतंत्र हूंँ परतंत्र
स्वतंत्र हूँ परतंत्र हूँ
भारत का लोकतंत्र हूं,
सिंह की दहाड़ हूँ भारत का कर्णधार हूँ।
रण में बजती हुई दुंदुभी,
चमकती हुई तलवार हूँ।
वीरों की विरह वेदना,
दुश्मनों की मौत का हार हूँ।
स्वतंत्र हूं परतंत्र हूं भारत का लोकतंत्र हूँ।
दुंदुभी नाद बज गया,
सूर्य प्रशस्त हो गया।
तिरंगा अब फहर गया,
दुश्मन का सर कट गया।
मौत का बिगुल अब बज गया,
रण शिरोमणि अब सज गया,
सिंहनाद गर्जना ढोल अब बोल उठा।
दुश्मन भी अब त्राहिमाम मृत्यु शब्द बोल उठा।
स्वतंत्र हूं परतंत्र हूंँ भारत का लोकतंत्र हूंँ।
दुश्मन भी कंहर उठा,
मृत्यु भी डर से कांप उठा।
रणभूमि थर्रा उठी,
गगन भी मृत्यु गीत गा उठी।