SMBoss,3 स्वप्न
SMBoss,3 स्वप्न
स्वप्न सारे अधूरे रह गए,
गमों के पहाड़ इतने उठे की हौसले सारे ढह गए,
तुमसे पूछने थे प्रश्न जो कि अनुत्तरित ही रह गए,
साथ जन्मो जन्म का था फिर क्यों वह वादे अधूरे रह गए।
सजाई थी छोटी सी दुनिया, जिस में खुशियों का मेला था।
आंख खुली तो टूटा सपना और मैं बिल्कुल अकेला था।
ना झुकूंगा ना टूटूंगा, हृदय से तुम्हारे प्रतिरूप को लगाकर,
पा ही लूंगा वापस तुम्हें, पुनः कभी ना खोने के लिए।