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Monika Sharma "mann"

Tragedy

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Monika Sharma "mann"

Tragedy

स्वार्थी महान तुम

स्वार्थी महान तुम

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जंगल काट काट इमारतें बनाई तुम इंसान,

स्वार्थी हो महान फिर जो मैंने हमला किया 


कहते मैं हूंँ हैवान कहीं तो होगी मेरी जगह 

जहांँ मैं भी घर बनाऊंँगा खुले आसमान के नीचे 


नदी तट बस जाऊंँगा रहने नहीं देते

हम पशु पक्षियों को शांत तुम 

अहंकारी, घमंडी, स्वार्थी महान तुम।


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