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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics Fantasy

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics Fantasy

स्वार्थ

स्वार्थ

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स्वार्थी है दुनिया, स्वार्थी हैं लोग,

स्वार्थ इस जहां में, बना है रोग।

बुराई अहित का, लगाते हैं भोग,

अच्छे जन मिले, होता है संजोग।।


स्वार्थ से दूर रहे, सच्चे हैं इंसान,

परहित में काम से,बनती पहचान।

पाप बुराई जो करे,वो होता अज्ञान,

धर्म कर्म के बल से, बनता महान।।


स्वार्थ सम है धोखा, देखते मौका,

परहित में जीये, जन हो अनोखा।

कर लो भलाई अब, हो जग नाम,

वरना को बुराई, किसने तुम्हें रोका।।


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