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सवाल

सवाल

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उसके खो जाने पर मन विलाप करने लगा

उसका ना होने पर दिल सवाल करने लगा


कल उनसे रूबरू हुए वो घबराए हुए थे

अश्रु अखियन में बेबसी का देख उनके


अब ये दिल मोह्ब्बत बेहिसाब करने लगा

आज खामोशियाँ पसरी हुई हैं चारों तरफ


गुजरे लम्हों की बेबसी पर टूटी कश्ती तरह

मोह्ब्बत में हारा ये दिल सवाल करने लगा


एक हादसा ऐसा जब अलग हुए रास्ते

हाथों में उनके ना होने की लकीर पर


खराब वक़्त पर दिल मलाल करने लगा

उनके यादों की किताब आज भी खुली है


हर पन्ने पर आहट सुनाई देती आज भी

ना होने की तलब दिल बेहिसाब करने लगा


मिलकर बिछड़े कुछ इस तरह हम

एकदूजे के वास्ते फिर दफ़न सासों में


जुदाई की टिस पर दिल सवाल करने लगा।


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