स्वाधीन भारत
स्वाधीन भारत
आजादी के पिचहतर साल बाद भी, देश जब समस्याओं के पराधीन है।
जब देश पर गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार ,घोटालोंके मामले संगीन है।
कैसे कहूँ कि मेरा देश आज भी स्वतंत्र- स्वाधीन है !
नारियों के साथ निममता की ,सीमा पार की बरबता की।
यह वही देश जिस देश में नारियां पूजी जाती थी।
स्थिति उनकी हुई आज बदुईन है।
सारी वयवस्था जहां लूटेरों और गद्दारों के अधीन है।
कैसे कहूँ कि मेरा देश आज भी स्वतंत्र-स्वाधीन है !
जहां सत्ता के चाटूकारो हर दांव पेंच में लीन हैं,
लोकतंत्र के नाम पर केवल चुनाव तंत्र हावी है,
जहां कोई अन्न की बोरियाँ सड़ा रहा है,
कोई दाने - के लिए तरस रहा है ।
तन ढकने के लिए वस्त्र नहीं ,
सर छुपाने के लिए आशियाना भी न उनको हुई उपलब्धिन है।
कैसे कहूँ कि मेरा देश आज भी स्वतंत्र -स्वाधीन है ?
जहां धर्म जाति के नाम पर राजनीति हो रही,
समाज को देखने का नजरिया आज भी निम्नस्तरीन है।
कैसे कहूँ कि मेरा देश आज भी स्वतंत्र -स्वाधीन है।
