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RAJNI SHARMA

Classics Inspirational

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RAJNI SHARMA

Classics Inspirational

सूर्योपासना

सूर्योपासना

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सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्योपासना की पहचान कराई,

रवि की बहन छठी मैया की महिमा समझायी।।


प्रकृतिदेवी से उत्तम स्वास्थ्य का वरदान पाएँ,

भक्ति भाव से प्रत्यक्ष रवि का महापर्व मनाएँ।।


कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि में,

व्रत संकल्प निष्ठा के सप्त दीप झिलझिलायें।।


ढोल नगाड़े मृदंग से शुभ गायन के गीत गाएँ,

चार दिवसीय महोत्सव को धूमधाम से मनाएँ।।


प्रथम दिवस में बरौना स्नान कर, पवित्र हृदय से,

निर्जल व्रती विधि विधान गन्ने का मंडप सजाएँ।।


दूजे दिवस फल फूल अर्पण से सूर्यनमस्कार करें,

ठेकुआ गुड़ चावल खीर, खरना भोज बनाएँ।।


तृतीय दिवस में फल, मूली, पंचमेवा से सूप सजाएँ,

अस्ताचलगामी सूर्यअर्घ्य से, हित चित को हर्षाएँ।।


चतुर्थ दिवस में छठमैया की जयकार से घाट गूँजे,

उगते सूर्य को दीप नैवेद्य अर्पित से जलपान करें।।


विनती बारम्बार है, छठी मैया सभी के कष्ट हरें,

समर्पण भाव से हम सभी सूर्योपासना करते रहें।।


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