सूरज सा मिला करो
सूरज सा मिला करो
जीवन की कठिन परीक्षा में, निर्झर मोती से बहा करो
अपनों की आशा तोड़ो ना, गैरों से पल - पल मिला करो
है ज्ञान भारती, अमर कथा, अपने सुंदर से जीवन में
सीपी को छोड़ भी दे मोती, अविरल पानी सा बहा करो
है ज्ञान गंगा मधु की धारा, अश्रु से आंचल गीला है
क्यों व्योम शांत और शीतल सा, धरती सा सबकुछ सहा करो
ना साज नकार ना जा उस पथ
जिस पर कोई करुण पुकार नहीं
इस झरने सी बहती गंगा में
प्रतिदिन सूरज सा मिला करो...