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Priyanka Khandelwal

Abstract

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Priyanka Khandelwal

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मेरा घरौंदा और जीजी का प्यार

मेरा घरौंदा और जीजी का प्यार

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एक मेरा घरौंदा प्यारा था,

वो सबका एक सहारा था l

एक भाई की आशा में,

आठ बहनों ने रास्ता बुहारा था l


मिल लो मेरी जीजी से जो हौसले,

बुलंदी की मिसाल है

ज्ञान का भंडार, सरस्वती मां का आशीर्वाद

और हम सबकी परवरिश की बिसात है।


अब सुन लो एक छोटी सी कथा,

है बहुत भले परिवार की

जिसमें हैं सब दादा-दादी,

भरे-पूरे परिवार की,


बड़े बेटे की शादी की थी,

वो सीधा - सादा भला मानुस,

बीवी आई सुन्दर नारी,

प्रेम सर्वस्व हर और था,


बेटे की चाहत में देखो

लक्ष्मी की कृपा ऐसी आई

आठ बेटियों के बाद बेटा

मिला ऐसी सोनी क़िस्मत पाई,


जब लोग ताने देते कहते

कि कैसे पालोगे इन्हें

पापा-माँ मुस्कुरा कर कहते

"जिसने मुँह दिया है वो दाना भी देगा"


जीजी झाँसी की रानी है

बस यही सिखाया है हमको

"खुद से किसी को छेड़ों मत,

और जो छेड़े तुम्हें उसे फिर छोड़ो मत"


सारी बहनों की जिम्मेदारी,

ली जीजी ने अपने सर पर

जीजी ने सम्भाला, निखारा हमें,

सदा भलाई का दिया ज्ञान


कहा ना सुनो दुनिया की,

ले-लो भरपूर मिले जो ज्ञान

शब्दों की कमी नहीं मुझको

कहने को बहुत कुछ बाकी है,


पर सब कुछ कहना इस पल

में नामुमकिन सा, मन भारी है

आठ बहनों के घरोंदे से

दो बहनें ईश्वर को प्यारी हुई


बची हुई छः बहनों में

जीजी की जान है बसी हुई

एक पवित्र हृदय भाई भी है,

जो हमे सम्भाले रखता है,

छोटा है सबसे मगर कहीं,

बड़े भाई का फर्ज निभाता है


सब की इस पल शादी हुई,

अपने-अपने घर में वो है

सब हँसी-खुशी के साथ

बसी अपना घरौंदा बसाए हैं


जीजी का साथ सदा देते

एक नाम सदा ये याद रहे,

सीता के संग जैसे रामा,

राधा के साथ श्री श्याम रहे,


मेरी बहना के साथ खड़े

जैसे पृथ्वी जैसे अम्बर,

है परछाइ एक-दूजे की,

हर पर एक साथ चले


है जीजी हमारी माता तो

दर्जा पिता का सिर्फ उन्हें मिले l

"शब्दों में नहीं तोला जा

सकता प्यार आपका


परवरिश में ही दिखाई

देता है संस्कार आपका

माँ - पापा सर आँखों पर है मेरी,

पर जो सच्चा दिल है वो


उपहार है आपका हाँ सही

पकड़े हैं आप हैं जीजी।


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