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नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Drama

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नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Drama

सूना पथ

सूना पथ

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सुनसान अविचल

धूप में नहाता हुआ,

अकेला चिल्ला-चिल्लाकर

पथिक तुझे पुकार रहा।


कंकड़ धूप से हुए हैं लाल

पगों को कर देंगे बेहाल

फिर भी बढ़ना तो पड़ेगा

क्या गर्मी, क्या वर्षाकाल

ऋतुओं का ये हेर-फेर

तन को जैसे दुत्कार रहा

अकेला चिल्ला-चिल्लाकर

पथिक तुझे पुकार रहा।


आंख मिचौली करने को

हठिले मेघ चले आयेंगे

तन को ढांप लेंगे ये

कभी धूप ये छलकायेंगे

दुश्मन लगेगा हर शख्श

जो इन पर है बढ रहा

अकेला चिल्ला-चिल्लाकर

पथिक तुझे पुकार रहा।



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