दुश्वार हो गया...। दुश्वार हो गया...।
कमल तेरी फिज़ूल कलम से...। कमल तेरी फिज़ूल कलम से...।
एक अधूरी उड़ान...। एक अधूरी उड़ान...।
ज़माना ! ज़माना !
बदलती दुनिया के परिदृश्य में बदलती हुई स्त्री की भूमिका को अबिव्यक्त करती यह रचना दुनिया बदलेगी ! बदलती दुनिया के परिदृश्य में बदलती हुई स्त्री की भूमिका को अबिव्यक्त करती यह रचन...
राहें मुश्किल जो न हों तो मंज़िल पाने का मज़ा कैसा आहिस्ता आहिस्ता ही सही मैं मुकाम तक पहुँच ही जाऊँग... राहें मुश्किल जो न हों तो मंज़िल पाने का मज़ा कैसा आहिस्ता आहिस्ता ही सही मैं मुक...